संस्कार टाईम्स/कृष्ण कुमार (प्रधान संपादक)
एक तरफ जहां प्रधानमंत्री मोदी लोगों के स्वावलम्बन एवं एमएसएमई सेक्टर को बढावा देने के लिए जी जान लगाये हुये है। वहीं सुत्रों के हवाले से पता चला कि व्यापार उपचार महानिदेशालय (DGTR) की सिफारिशों के अनुसार विदेशों से आयत लेजर मशीनों पर 90 प्रतिशत का चार्ज लगाने की तैयारी की जा रही हैं।
अगर इस तरह का चार्ज भारत सरकार द्वारा लगाया जाता है तो छोटे उद्योगिक ईकाईयों को भारी नुकसान का सामना करना होगा। एक तरफ भारी मांग और आपूर्ति न होने की वजह से काला बाजारी का भी खतरा होगा वहीं सभी प्रकार की मशीनों का उत्पादन करने के लिए डीआई की सीमित क्षमता की वजह से लोगों के व्यवसाय पर भारी असर पड़ेगा। उत्पादों की गुणवता के साथ-साथ एमएसएमई और लघु उद्योग द्वारा निर्धारित किमतों में प्रभाव पडे़गा। इसके साथ-साथ माल एवं सेवा कर राजस्व में भारी नुकसान होगा।
भारत में निर्मित कोई भी प्रमुख मशीन घटक जैसे- लेजर सोरस, कटिंग हेड, एलएम गाइड, मोटर्स और ड्राइव, गियर रिड्यूसर, कंट्रोलर, सौफ्टवेयर आदि आदि का अभी भारत में बनना शुरू नहीं हुआ है, जिसे लघु उद्योगों को सुचारू रूप से चालु रखने के लिए इन सब का आयात करना ही होगा, जिसकी वजह से किमतों का भी भारी इजाफा होगा।
ज्ञात हो कि हाल ही में कुछ घरेलू उद्योग की मशीनें में कमी को उजागर करने वाले केस भी सामने आये हैं, जिसका कहीं न कहीं लघु उद्योगों पर असर पड़ा है।
एक तरफ जहां छोटे उद्योगिक ईकाईयों को भारी नुकसान का सामना करना पडे़गा वहीं आयात-निर्यात से जुड़े लाखों लोगों के सामने भी बेराजगारी की समस्या होना तय है। ज्ञात हो इस उद्योग से लाखों की संख्या में लोग जुड़े हैं जिनके सामने रोटी-रोजी का संकट होना तय है। इस संबंध में जुड़े सभी लोगों द्वारा इस निर्णय पर पुनः विचार करने के लिए गुहार लगाई गई है।